स्वाध्याय

 स्वभाव का अर्थ स्वभाव का अर्थ है l

वास्तव में अपने आप का अध्ययन करना स्वभाव से ज्ञान बढ़ता हैl शास्त्रों का एवं अच्छे ग्रंथों का स्वाद आए मन में रुचि पैदा करता है! तथा लाभदायक होता है स्स्वाध्याय  नित्य करना चाहिए स्वभाव से अज्ञान और अभिधा का आवरण हटने लगता हैl तथा इससे मनसा देवी प्रसन्न चित्त एवं शांत रहता है यह सब पाया जाता है कि जो प्रतिदिन स्वाध्याय करता है उसकी वृद्धि इतनी सोच में हो जाती है कि प्रकृति के रहस्यों को सताने लगता है इसके लिए वीतराग पुरुषों द्वारा लिखे हुए ग्रंथों को पढ़ना चाहिए इसमें मनुष्य बुद्धिमानी स्वाबलंबी दृढ़ निश्चय ही एवं श्रद्धा वन बन जाता है स्वाधा इस साधना में सहायक होता ह स्वाध्याय मनुष्यों को प्रमाण समाप्त कर देता है मनोबल में वृद्धि करता है सद्भाव उत्पन्न का रास्ता है आता है जिसके फलस्वरूप क्यों कार्यों में सफलता प्राप्त होती है मन के भीतर मलिंगा को साफ करके आत्मा परमात्मा के निकट बिठाने का हम जिस महापुरुष की जो पुस्तक पढ़ते हैं तो हमें ऐसा प्रतीत होता है कि उस महापुरुषों के चरणों में ही बैठे हैं यह स्वभाव है पतंजलि का कथन है कि स्वभाव से इष्ट देव का विशेष मिला होता है