अध्यात्म का महत्व

आज के वैज्ञानिक युग में आध्यात्मिक चेतना का विशेष महत्व है आज का युग कट्टर सिद्धांत बार को स्वीकार नहीं करता और स्वीकार करना भी उचित नहीं है क्योंकि कट्टर सिद्धांत बाद एवं बौद्ध धर्म का खतरा रहेगा जिसका हाथ से दिखाई दे रहा है इस कारण ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यही कर्म युक्त ना हो जाए ऐसी प्रतीति हमें इसलिए हो रही है क्योंकि हमने धर्म संबंधी आकारों अनौपचारिक अदाओं को अंतिम और अपरिवर्तनीय मान लिया इसलिए हमारा सनसनी आलू और आशंकित होना स्वभाविक है हमारे सौभाग्य की बात है कि धर्मों के महान ऋषि और प्रबंधकों ने किसी निश्चित परिवर्तनों सिद्धांतों एवं कांडों का विधान नहीं किया है वह तो आत्मा को अपनी एकांकी तीर्थ यात्रा के पथ पर आमंत्रित करते हैं उसे पूर्ण स्वाधीनता प्रदान कर देते हैं क्योंकि उनका भी यह विश्वास है कि इस बार को अपनी शिवा के अनुसार स्वतंत्र एवं निर्बाध रूप से अपनी आत्मा को ही पाना ही आध्यात्मिक जीवन के लिए अनिवार्य शर्त है आज इस आध्यात्मिक जीवन की प्राप्ति के लिए मनुष्य ने आध्यात्मिक चेतना का विकास किया जाना चाहिए यदि हमारे मंदिर मस्जिद गिरजाघर है कि हमारा मुख्य कार्य पवित्र ज्ञान देने के स्थान पर साधा को भक्तों की आत्मा को और करना है तो ईश्वर को एक ऐसे ऐसे साधना स्थल बन जाएंगे जिसमें व्यापकता और उधारी का साहस होगा जो आध्यात्मिक वातावरण में सभी धर्मों के विचारों और उसके ऊपर लोगों का स्वागत करेंगे वे एक ऐसे आदर्श धर्म संप्रदाय की भूमिका तैयार करेंगे जो समस्त सद्भावना श्री महाराणा को एक सूत्र में बांधे और यदि हमारा ऐसा विश्वास हो तो विश्वास है कि मनुष्य को उसके मन की कोमलता के लिए किसी सहारे की आवश्यकता है तो हम उसे प्रति और उदाहरण प्रदान कर सके किंतु उसके बाद शेष सब कुछ हमें मनुष्य के अंदर विद्वान ईश्वर पर ही छोड़ देना चाहिए इस प्रकार मानव का स्वयं में आध्यात्मिक चेतना का विकास होने लगेगा और यही भगवत प्रेम के द्वारा ईश्वर के साथ एक स्थापित कर देगाl